Tuesday, August 23, 2011

तुम इतना जो, मुस्कुरा रहे हो

तुम इतना जो, मुस्कुरा रहे हो
क्या गम है, जिस को छुपा रहे हो

आँखों में नमी, हँसी लबों पर
क्या हाल है, क्या दिखा रहे हो

बन जायेंगे जहर पीते पीते
ये अश्क जो पीते जा रहे हो

जिन जख्मों को वक्त भर चला है
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

रेखाओं का खेल हैं मुकद्दर
रेखाओं से मात खा रहे हो

तो क्या पाओगी................

प्यार मुझ से जो किया तो क्या पाओगी
मेरे हालात की आंधी में, बिखर जाओगी

रंज और दर्द की बस्ती का, मैं बाशिंदा हूँ
ये तो बस मैं हूँ, के इस हाल में भी ज़िंदा हूँ
ख्वाब क्यों देखू, कल जिस पे मैं शरमिंदा हूँ
मैं जो शरमिंदा हुआ, तुम भी तो शरमाओगी

क्यों मेरे साथ कोई और परेशान रहे
मेरी दुनियाँ हैं जो वीरान तो वीरान रहे
जिन्दगी का ये सफ़र तुम पे तो आसान रहे
हमसफ़र मुझ को बनाओगी तो पछाताओगी

एक मैं क्या अभी आयेंगे दीवाने कितने
अभी गुन्जेंगे मोहब्बत के तराने कितने
जिन्दगी तुम को सुनाएगी फ़साने कितने
क्यों समझती हो मुझे भूल नहीं पाओगी

कोई ये कैसे बताये...........

कोई ये कैसे बताये के वो तनहा क्यों है
वो जो अपना था, वही और किसी का क्यों है
यही दुनिया हैं तो फिर, ऐसी ये दुनिया क्यों है
यही होता हैं तो, आखिर यही होता क्यों है?

इक ज़रा हाथ बढ़ा दे तो, पकड़ ले दामन
उस के सीने में समा जाए, हमारी धड़कन
इतनी कुर्बत हैं तो फिर फासला इतना क्यों है?

दिल-ए-बरबाद से निकला नहीं अबतक कोई
इक लुटे घर पे दिया करता हैं दस्तक कोई
आस जो टूट गयी हैं फिर से बंधाता क्यों है?

तुम मसर्रत का कहो या इसे गम का रिश्ता
कहते हैं प्यार का रिश्ता हैं जनम का रिश्ता
है जनम का जो ये रिश्ता तो बदलता क्यों है?

झूकी झूकी सी नज़र ................

झूकी झूकी सी नज़र, बेकरार हैं के नहीं
दबा दबा सा सही, दिल में प्यार हैं के नहीं

तू अपने दिल की जवान धड्कनों को गिन के बता
मेरी तरह तेरा दिल बेकरार हैं के नहीं

वो पल के जिस में मोहब्बत जवान होती हैं
उस एक पल का तुझे इन्तजार हैं के नहीं

तेरी उम्मीद पे ठुकरा रहा हूँ दूनिया को
तुझे भी अपने पे ये ऐतबार हैं के नहीं

होठों से छूं लो तुम.......

होठों से छूं लो तुम  मेरा गीत अमर कर दो
बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो

ना उम्र की सीमा हो, ना जन्मों का हो बंधन
जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन
नयी रीत चलाकर तुम  ये रीत अमर कर दो

आकाश का सूनापन  मेरे तनहा मन में
पायल झनकाती तुम आ जाओ जीवन में
साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो

जग ने छिना मुझ से, मुझे जो भी लगा प्यारा
सब जीता किये मुझ से, मैं हर पल ही हारा
तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो

बडी नाजूक हैं ये मंझिल..................

बडी नाजूक हैं ये मंझिल, मोहब्बत का सफर हैं
धडक आहिस्ता से ऐ दिल, मोहब्बत का सफर हैं

कोई सून ले ना ये किस्सा, बहोत डर लगता हैं
मगर डरने से क्या हासिल, मोहब्बत का सफर हैं
बताना भी नहीं आसान, छुपाना भी कठीण हैं
खुदाया किस कदर मुश्किल, मोहब्बत का सफर हैं

उजाले दिल के फैले हैं, चले आओ ना जानम
बहोत ही प्यार के काबिल, मोहब्बत का सफर हैं

होशवालों को खबर क्या..............


होशवालों को खबर क्या
होशवालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज हैं
इश्क कीजिये फिर समझिये, जिन्दगी क्या चीज हैं

उनसे नज़रे क्या मिली, रोशन फिजायें हो गयी
आज जाना प्यार की जादूगरी क्या चीज हैं

खुलती जुल्फों ने सिखाई, मौसमो को शायरी
झुकती आँखों ने बताया, मयकशी क्या चीज हैं

हम नजर से कह ना पाए, उन से हाल-ए-दिल कभी
और वो समझे नहीं, ये खामोशी क्या चीज हैं

Zindgi Ka Raaz....

Zindagi Ka Raaz


Zindagi Ka Raaz, Raaz Rehne Deejiye.
Jo Bhi Ho Aitraaz, Aitraaz Rehne Deejiye.
Par Jab Yeh Dil, Dil Se Kuchh Kahna Chahe,
Yeh Mat Kehna Ke Aaj Rehne Deejiye !!
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Zindagi Ki Raho Me Jab Aage Jaoge,
Peeche Ek Saya Tum Hardum Paoge.
Mudke Dekhoge To Tanhai Hogi,
Agar Mehsus Karoge To Humko Paoge !!
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Chehre Ki Har Muskan Ban Jata Hai Koi,
Dil Ki Har Dhadkan Ban Jata Hai Koi,
Phir Kaise Jiye Zindagi Uske Bin,
Jab Zindagi Jine Ki Wajah Ban Jata Hai Koi !!
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Taare Aasman Me Chamakte Hai ,
Baadal Dur Hai Phir Bhi Baraste Hai,
Hum Bhi Kitne Naadan Hai,
Aap Dil Me Rehte Hai Or Hum Milne Ko Taraste Hai!!
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Ajib Si Kashish Hai Tum Me Ki Hum
Tumhare Khayalo Me Khoye Rahte Hai
Yeh Soch Kar Ki Tum Khwabho Me Aavoge
Hum Din Me Bhi Soye Rahte Hai!!
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Dono Ankhon  May Askh Diya Karte Hain,
Hum Apni Neende Tere Nam Kiya Karte Hai
Jab Bhi Palak Jhapke Teri,
Samaj Lena Hum Tujhe Yad Kiya Karte Hain !!
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Betaab Tamanao Ki Kasak Rehti Hai,
Manzil Ko Paane Ki Tadap Rehti Hai,
Hum Zaroor Nazron Se Dur Ho,
Par Hamari Band Aankhon
Me Dost Aapki Jhalak Rehti Hai !!
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Is Dil Ke Ayine Ko Dikhaya Na Kijeye,
Ankhon Me Har Kisi Ko Basaya Na Kijeye,
Dil Lagi Dilo Se Yuhi Na Kijeye,
Likh Kar Hamara Nam Dil Par Mitaya Na Kijeye !!
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Chahne Se Koi Cheez Apni Nahi Hoti,
Har Muskurahat Khushi Nahi Hoti,
Kehna To Chahte Hai Bohot Kuch Apse,
Magar Kabhi Alfaaz To Kabhi Zubaan Saath Nahi Hoti!!
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Takdir Ne Chaaha, Takdir Ne Bataya.
Takdir Ne Tumko Or Humko Milaya.
Khushnasib The Hum Ya Wo Pal,
Jab Tum Sa Anmol Sathi Is Zindagi Me Aaya!!
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Khud Ko Khud Ki Khabar Na Lage,
Koi Achha Bhi Is Kadar Na Lage,
Aap Ko Dekha Hai Bas Us Nazar Se,
Jis Nazar Se Aap Ko Nazar Na Lage  !!
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Friday, August 19, 2011

गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण

गब्बर सिंह
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा सरल था. पुराने और मैले कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दांत और पहाड़ों पर खानाबदोश जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की ओर इतना समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासिता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी काट सकता था. पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्रदय शुष्क नहीं था. वह जीवन में नृत्य- संगीत एवं कला के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में पहचान लिया था . गौरतलब यह कि कला के प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त अपने प्रोजेक्ट से नाकाम होकर लौटेतो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने अगाध समर्पण को दर्शाते हुएउसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स ऑफ ह्यूमर था. कालिया और उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसाया था. ताकि वो हंसते-हंसते दुनिया को अलविदा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर नारी का अपहरण करने के बाद उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो शायद कुछ और करता.
 7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महात्मा बुदध द्वारा दिखाए गए भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से उसे जो भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर करता था. सोना, चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा वो छोटे बच्चों को सुलाने का भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम लेती थीं ताकि बच्चे बिना कलह किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित कर रखा था. उस युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लोगों को रातों-रात अमीर बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता तो जय और व??रू जैसे लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने की क्षमता जागी.

आज़ादी अभी... अधूरी है।

पंद्रह अगस्त का दिन कहता -- आज़ादी अभी... अधूरी है।
सपने सच होने बाकी है, रावी की शपथ न पूरी है।।
जिनकी लाशों पर पग धर कर, आज़ादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश , ग़म की काली बदली छाई।।
कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आँधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पंद्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं।।
हिंदू के नाते उनका दु:ख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती।।
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है, डालर मन में मुस्काता है।।
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कंठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं।।
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन गुलामी का साया।।
बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है।।
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुन: अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आज़ादी पर्व मनाएँगे।।
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोया उसका ध्यान करें।।

Wednesday, August 17, 2011

!!!! जय हिंद जय भारत !!!!

हमारे महामहिम प्रधान मत्री जी की ख़ामोशी का क्या कहना...
उन्हें तो अपने पक्ष वालों से लड़ना नहीं आता|
इस बात पैर एक शेर का छोटा सा अंश याद आता है

"अंजाम- इ- गुलिस्तान क्या होगा जहाँ हर शाख पर उल्लू बैठा है"

जय हिंद जय भारत!!!

Tuesday, August 16, 2011

Mere Ghar Aayi ik Nanhi Pari

Mere Ghar Aayi ik Nanhi Pari

Mere Ghar Aayi ik Nanhi Pari

Mere Ghar Aayi ik Nanhi Pari

लिख के मिटा देती हूँ......

Vinod Suthar
अपने जज्बात को,
नाहक ही सजा देती हूँ...
होते ही शाम,
चिरागों को बुझा देती हूँ...
जब राहत का,
मिलता ना बहाना कोई...
लिखती हूँ हथेली पे नाम तेरा,
लिख के मिटा देती हूँ......................

सबकी ज़िन्दगी में खुशिया देने वाले,
मेरे दोस्त की ज़िन्दगी में कोई गम न हो.
उसको मुझसे भी अच्छे  दोस्त मिले,
जब इस दुनिया में हम न हो.

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा
काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा
देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा
कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी!
अब के ना शामिल करना मेरा नाम
ग़र ये खेल ही दोबारा होगा

पिग्विजय सिँह का प्रेस काँफ्रेस

पत्रकार-जब बुद्धि बंट रही थी तब आप कहां थे?
पिग्विजय-मैं उस वक्त राहुल बाबा को ढूंढने गया था . . वो लाइन तोड़कर पता नहीं कहीं चले गए थे! . . .

देश के असम्मानित नेता

ठग सम्राट दिग्विजय सिँह हमारे देश के सबसे असम्मानित नेता है वो श्री अफज़ल गुरु के दामाद है और अजमल आमिर कसाब उनका दामाद है . उनके पिताजी का नाम स्वर्गीय श्री ओसामा बिन लादेन "जी" था. जो अमेरिकी कार्रवाई में मारे गए . दिग्विजय सिंह उन की नौ सौ निन्यान्बेवीँ रखैल की औलाद है और वो भारत गणतंत्र में निवास कर इसे नष्ट और बर्बाद करने की पूरी कोशिश कर रहे है . अमाननीय दिग्विजय सिंह का मायका लश्कर-ए-तैय्यबा पाकिस्तान है और उन का ससुराल इंडियन मुजाहिद्दीन के निवास स्थान आज़मगढ़ में है . वो श्रीमती सोनिया गांधी जी के मामूली से धोबी है और राहुल गाँधी और प्रियंका गांधी की चड्ढी बनियान आदि धोने और दरवाजे पर झाडू लगाने का काम करते है . दिग्विजय सिंह जी कभी कभार संघ परिवार के विषय में उलूल जुलूल वक्तव्य भी दे देते है क्योंकि संघ परिवार ने उनकी हिन्दू माँ को ओसामा के रखैलखाने से आज़ाद कर दिया था और उनकी बहन को अल ज़वाहिरी के हरम से बचा कर भारत ले आये थे . सोनिया गाँधी ने उनको पनाह दी और कुत्तों के साथ साथ उनके रहने का भी इंतज़ाम कर दिया . इस असम्मानित नेता के विषय में आप कृपया भद्र शब्दों का प्रयोग न करे। पूरी सच्चाई आपके सामने रख दी है कृपया उसे समझ लेँ।

आज का सुपरहिट गाना


"इस पिग्विजय को देखा तो ऐसा लगा
जैसे जयचंद की औलाद
जैसे गोबर की खाद
जैसे नाली मैं पड़ा हो अण्डा सड़ा
जैसे मस्जिद के बाहर हो सूकर खड़ा
जैसे कसाब का वकील
जैसे काँग्रेस के ताबूत की हो आख़िरी कील"