Monday, September 19, 2011

दंगों के लिए जिम्मेदार कौन है?

1)  राउरकेला और जमशेदपुर में 1964 के सांप्रदायिक दंगे | 2000 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(2) बंगाल में 1947 में सांप्रदायिक दंगे | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस | 5000 मारे गए
(3) अगस्त 1967 | 200 मारे गए | रांची में हुए सांप्रदायिक दंगों | पार्टी सत्तारूढ़ फिर कांग्रेस
(4) 1969 | अहमदाबाद में सांप्रदायिक दंगे | 512 से अधिक मारे गए गए. सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(5) 1970 | भिवंडी सांप्रदायिक दंगे महाराष्ट्र में | लगभग 80 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(6) अप्रैल 1979 | जमशेदपुर में हुए सांप्रदायिक दंगों, पश्चिम बंगाल | 125 से अधिक मारे गए, सत्तारूढ़ पार्टी CPIM (कम्युनिस्ट पार्टी)
(7) अगस्त 1980 | मुरादाबाद हुए सांप्रदायिक दंगों | लगभग 2000 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(8) मई 1984 | भिवंडी में हुए सांप्रदायिक दंगों | 146 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस | मुख्यमंत्री - Vasandada पाटिल
(9) अक्टूबर 1984 | दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों | 2733 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(10) अप्रैल 1985 | सांप्रदायिक दंगे अहमदाबाद | 300 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(11) जुलाई 1986 | सांप्रदायिक हिंसा अहमदाबाद | 59 मारे गए | सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस
(12) अप्रैल - मई 1987 | मेरठ में सांप्रदायिक हिंसा. सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी | 81 मारे गए
(13) 1983 फ़रवरी| 2000 को मार डाला, असम में सांप्रदायिक हिंसा PM - इंदिरा गांधी (कांग्रेस)
             सभी दंगों के लिए जिम्मेदार कौन है ???????????

नरेन्द्र मोदी भारत के अगले प्रधान मंत्री, क्या आप सहमत हैं

गुजरात दंगो के लिए माननीय नरेन्द्र मोदी जी और भाजपा बिलकुल भी जिम्मेदार नहीं थे, ये सारी की सारी चाल कांग्रेस की और उनके कार्यकर्ताओं की थी एक सोची समझी साजिश थी! कियोकी कभी भी वो पार्टी जो सत्ता में हो वो कभी नहीं चाहेगी की उसके राज्य में जरा सी भी हलचल हो कियोकी इससे पार्टी की छवि खराव होने का खतरा होता है. तो आप ही बताये की की गुजरात दंगो के लिए कौन जिम्मेदार है.
27 फरवरी 2002 को अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों को साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 बोगी में बाहर से घेर कर जीवित जला दिया गया था। इस नरसंहार की सुरुआत एक चाय की दूकान से हुई थी चाय वालों ने ट्रेन में बैठे लोगो से झगड़ा किया जाहिर है कभी ट्रेन में बैठे यात्री झगडा नहीं करते जब वो किसी दूसरे शहर में होजाहिर है की चाय वालों ने ही झगड़ा किया होगा और ट्रेन किसी रेलवे स्टेशन पे २ -३ घंटे तो नहीं रूकती फिर इतनी जल्दी इतने सारे लोग कहा से आ गए फिर जिस पेट्रोल को ट्रेन जलाने में प्रयोग किया गया था वो पेट्रोल उसी चाय की दूकान से आया था ज़ाहिर है रेलवे स्टेशनपर कार या स्कूटर तो आते नहीं शायद ट्रेन भी पेट्रोल से नहीं चलती और न ही किसी ने ऐसा स्टोव भी नहीं बनाया जो पेट्रोल से चलता हो फिर १०० लीटर पेट्रोल उस चाय की दूकान पे किस लिए लाया गया थाऔर मुख्य दोषी ये थे - हाजी बिलाल, सलीम जर्दा, शौकत अहेमद चरखा उर्फ लालू (फरार), सलीम पानवाला (फरार), जबीर बिनयामीन बहेरा, अब्दुलरजाक कुरकुरे, अब्दुलरहेमान मेंदा उर्फ बाला, हसन अहेमद चरखा उर्फ लालु, महेमुद खालिद चांद आदि शामिल थे। इनकी सहायता के लिए एक सहायक टीम भी बनाई गई थी, जिसमें फारुक अहमद भाण(फरार), महंमद अहमद हुसेन उर्फ लतिको, इब्राहिम अहमद भटकु उर्फ फेटु (फरार) शामिल थे। करीब ६३ आरोपी और थे जिनको सबूतों के आभाव में बरी कर दिया गया था अब इतने लोग तो फाइव स्टार रेस्तरा में नहीं होते तो चाय की दुकान पे कैसे होंगे और सबसे बड़ी बात जो गोधरा कांड का मुख्य आरोपी है हाजी बिलाल जो उस समय कांग्रेस का तत्कालीन पार्षद था जिस पे आरोप सिद्ध हुआ है। न्यायालय ने उसे मौत की सजा सुनाई है। अब और भी कई बड़े कांग्रेस के नेता इसमें सामिल थे पर वो सभी परदे के पीछे है कांग्रेस कियो हमेशा राजधर्म और गुजरात दंगों और अल्प्शंख्यकों का राग अलापती रहती है 
कांग्रेस के हाथ 2014 चुनावों में खाली ही है , उसकी तरकश में ऐसा कोई तीर नहीं है, जिस को चला के फिर से सत्ता सुख मिल सकें , और कांग्रेस को ये डर भी सता रहा है , की कई मोदी को बीजेपी ने सामने ला दिया जनता के तो कई कांग्रेस बिखर ना जाएँ , क्यूंकि कांग्रेस जानती है मोदी को टक्कर राहुल गाँधी ही दे सकतें है , लेकिन राहुल 2014 चुनाव के लिए परिपक्व नहीं है , और देश मोदी और राहुल के सामने , मोदी को ही तरजीह देगा || मोदी की टक्कर का कोई भी नेता कांग्रेस के पास नहीं है , इसी लिए मोदी को बदनाम कर के , 2002 के दंगो के जख्मों को कुरेद कर के अपनी खीज मिटा रही है| पूरी कांग्रेस और विकासविरोधी लोग ये बात कह रहें है की मोदी ने राजधर्म नहीं निभाया, लेकिन हद तब हो गयी जब गुजरात कांग्रेस के नेता ने, मोदी की तुलना कसाब से कर दि , तो मुझे लगा की लोगो को राजधर्म बताना चहिये , राज धर्म होता क्या है और क्या हर नेता अपना राज धर्म निभा पाता है?
भारत से पाकिस्तान अलग हुआ तब क्या गाँधी जी ने राज धर्म निभाया था ?
सिक्खों पे इतने हमले हुए , तब क्या इन्द्रा गाँधी ने राज धर्म निभाया था ?
भूत की बात छोडिये वर्तमान की कांग्रेस सरकार क्या राज धर्म निभा रही है ?
हर माह देश में आतंकवादी हमले हो रहें है , हजारों बेकसूर लोग अपनी जान गँवा रहें है , लेकिन सरकार आतंकवादी की सुरक्षा कर रही है , आम जनता की नहीं, क्या यह राजधर्म है ?
आम आदमी भूख से मर रहा है , पर लाखों टन अनाज सड रहा है , अरबों रुपये के घोटाले करने वाले नेता तिहाड़ में मौज मना रहें है, और एक साइबर कैफे के मालिक जिसके यहाँ से सिर्फ मेल भेजा गया है , वो कड़ी सजा पा रहा है , क्या ये राजधर्म है ?
क्या सीबीआई का दुरूपयोग करना , और आम आदमी जो आप की खिलाफत करें, उसे बेवजह परेशान करना राजधर्म में आता है ?
2002 के दंगो के बाद , गुजरात ने जिस रफ़्तार से प्रगति की है , इसका सारा श्रेय मोदी को जाता है , उस दंगे के बाद गुजरात में सभी धर्म के लोग सम्मान के साथ रह रहे है , क्यूंकि मोदी ने राजधर्म निभाया है ,लेकिन क्या कांग्रेस ने किसी भी आतंकवादी हमले से सबक ले कर उसे रोकने के कोई प्रयास किए ? फिर कौन सा राजधर्म निभाया है कांग्रेस ने? जो पार्टी कसाब, अफजल गुरु को फांसी से बचा रही है, आतंकवादियों की दामाद सी खिदमत कर रही है, जिस के प्रधानमंत्री सीबीआई को निर्देश दे रही है की, अल्पसंख्यक की भावनाओ को ठेस ना लगे जांच में, उसे कोई हक़ नहीं बनता की वो मोदी की बुराई करें, क्यूंकि मोदी ने राजधर्म निभाया है तभी आज गुजरात ने प्रगति की है, तभी अमेरिका ने लोहा माना है मोदी के प्रशासन का, तभी हर भारतीय आम आदमी, चाहता है मोदी को प्रधानमंत्री बनते देखना मोदी एक जमीन से जुडा व्यकतित्व है, मोदी एक सफल मुख्यमंत्री है, एक बेदाग़ नेता है, और वो किसी भी वर्तमान नेता से अच्छे और बेहतर तरीके से राजधर्म का निर्वाह कर सकता है, और देश की तरक्की पसंद आवाम एक मजबूत प्रधानमंत्री चाहती है, क्यूंकि उसने रिमोट से चलने वाले प्रधानमंत्री से होने वाले नुकसान देख लिए है, कभी तो मुस्लिम भाईओं को ये समझ में आएगा वो दिन कांग्रेस के पतन का दिन होगा अब फैसला सभी समुदाय के भाइयों आपके हाथ में है तो फैसला आप ही करे पहले देश या पहले धर्म

Tuesday, September 13, 2011

दिग्विजय सिंह ने मनाया ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध, फ़ेकिंग न्यूज़ से की विशेष बातचीत

दिल्ली. ऐसे समय जब खुफिया एजेंसियां दिल्ली धमाकों के बाद मिल रहे एक के बाद एक ईमेलों से हलकान हैं, मनमोहन सिंह सोनिया गांधी को महीने का रिपोर्ट कार्ड देने में लगे हैं, आडवाणी रथयात्रा से पहले पहियों को ग्रीस कर रहे हैं, अवॉर्ड फंक्शन में देरी से बुलाए जाने पर धोनी मुंह फुलाए बैठे हैं और बॉडीगार्ड के सुपरहिट होने पर सलमान के फैन दिन-रात जश्न मना रहे हैं…इस सबके बीच…एक शख्स है जो नहीं भूला कि उसका फर्ज़ क्या है…उसे महीनों से इंतज़ार था कि जल्द ही यह पावन मौका आए और वो एक बेटे का फर्ज़ निभा सके। और आख़िरकार भाद्रपद शुरू होते ही वो शुभ घड़ी आ गई।
दिग्विजय सिंह का कहना है कि मरने से 
पहले ओसामा बिन लादेन ऐबटाबाद वाली
अपनी हवेली उनके नाम कर गए थे
जी, हां…हम बात कर रहे हैं…मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की जिन्होंने आज पितृपक्ष के पहले दिन अलकायदा प्रमुख और पितातुल्य श्री ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध मनाया। धार्मिक मान्यता के मुताबिक वैसे तो बेटा ही अपने पिता का श्राद्ध मना सकता है और उसके न होने की सूरत में परिवार के बाकी सदस्य मगर दिग्विजय सिंह ने किस हैसियत से ओसामा जी का श्राद्ध मनाया ये जानने के लिए हमने उनसे ख़ास बातचीत की।
फ़ेकिंग न्यूज़-दिग्विजय जी, पहले तो ये बताएं कि ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध मनाने का विचार आपके ज़हन में क्यों आया?
दिग्विजय-देखिए, वैसे तो ये मेरा निजी मामला है…मैं कुछ कहना नहीं चाहता…मगर आपने पूछा है तो बता दूं कि जब से अमेरिका ने ओसामा जी को समुद्र में दफनाया था…तब से मैं बेहद आहत था…जानता था कि इस तरह दफनाए जाने से उनकी रूह तड़प रही होगी…उसे बेहद कष्ट हो रहा होगा…और जब तक वो नया शरीर धारण नहीं कर लेती यूं ही तड़पती रहेगी…तभी मैंने तय कर लिया था कि नहीं मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूंगा…हिंदू आतंकी भले ही कैसे हों…मगर हिंदू धर्म तो एक महान धर्म है…हमारे यहां किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध कर उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रयास किया जा सकता है…सो मैंने किया।
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर दिग्विजय जी, लोग पूछ रहे हैं कि इस तरह से श्राद्ध करने का हक तो बेटे को होता है और उसके न होने पर परिवार के बाकी लोगों को…आपने किस हैसियत से उनका श्राद्ध मनाया।
दिग्विजय-कौन कहता है कि सिर्फ बेटा और परिवार वाले ही ही कर सकते हैं…अगर परिवार का कोई सदस्य ये सब न करें तो मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारी को भी श्राद्ध माने का अधिकार होता है
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर आप किस तरह से ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी हुए…क्या सिर्फ ट्विटर और फेसबुक पर लोगों के मज़ाक में कहने से कि दिग्विजय सिंह लादेन के उत्तराधिकारी हैं, आपने खुद को उसका उत्तराधिकारी मान लिया।
दिग्विजय-नहीं, मैंने कोई मज़ाक में खुद को ओसामा जी का उत्तराधिकारी नहीं माना बल्कि कानूनी तौर मैं ही उनका असली उत्तराधिकारी हूं। कम लोग जानते हैं कि मरने से पहले इसी साल 2011 में ओसामा जी ऐबटाबाद की हवेली मेरे नाम कर गए थे! इस लिहाज़ मैं राजनीतिक ही नहीं, उनकी सम्पत्ति का भी उत्तराधिकारी हूं!
फ़ेकिंग न्यूज़-अच्छा तो बात हुई कि आपने श्राद्ध मनाया क्यों…अब बात करते हैं कि आपने श्राद्ध मनाया कैसे…पहले ये बताएं कि आज के दिन तो मृत व्यक्ति के नाम का खाना बनाकर किसी पंडित को खिलाया जाता है…आपने किस पंडित को खाना खिलाया?
दिग्विजय सिंह-ये भी भला कोई बात हुई…विद्वता के लिहाज़ से तो कांग्रेस में सभी पंडित हैं मगर जाति की बात की जाए तो भी ऑप्शन्स की कमी नहीं थी…मगर मैंने ऐसे पंडित नेता को खाना खिलाया, जिनके लिए मेरे मन में गहरी श्रद्धा है…अपार स्नेह है…जिनकी वाक्पटुता की दुनिया कायल है…अब तक तो आप समझ ही गए होंगे…वो हैं मशहूर वकील और मेरे अनन्य मित्र…श्री मनीष तिवारी जी!
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर इस अवसर पर कौओं को भी तो कुछ खिलाया जाता है…क्या आपने छत पर आवाज़ लगाकार कौओं को पास बुलाकर उन्हें कुछ खिलाया?
दिग्विजय-हां, मैं जानता हूं कि ऐसा किया जाता है मगर इतने व्यस्त कार्यक्रम में मेरे लिए संभव नहीं था कि मैं छत पर जाकर कौए को आवाज़ लगाता और उसे पास बुलाकर कुछ खिलाता…
फ़ेकिंग न्यूज़-तो फिर…
दिग्विजय सिंह-तो फिर क्या…मैंने कौओं के हिस्से का खाना भी श्री मनीष तिवारी को खिला दिया…वैसे भी कें कें करने के चलते कौए के कुछ गुण तो उनमें हैं ही!
फ़ेकिंग न्यूज़-और एक आख़िर सवाल…कहा तो ये भी जाता है कि मृत व्यक्ति की पसंद की कुछ चीज़ें भी किसी ज़रूरतमंद को दी जाता है…जैसे किसी को कोई ख़ास रंग की शर्ट पसंद थी तो आपने उसी रंग की शर्ट किसी गरीब को दान कर दी…मैं जानना चाहता हूं कि क्या आपने भी ऐसा कुछ किया?
दिग्विजय सिंह-हां किया न
फ़ेकिंग न्यूज़-क्या?
दिग्विजय-ओसामा जी के घर की तलाशी में कुछ ब्लू फिल्मों की सीडी भी मिली थी तो इससे ऐसा लगता है कि उनका पोर्नोग्राफी में इंट्रस्ट था…तो मैंने सोचा कि किसी ज़रूरतमंद को ब्लू फिल्मों की डीवीडी का सेट भेंट कर दूं…अब चूंकि ये दान का मामला था तो मुझे लगा कि ऐसी डीवीडी भी मैं किसी पंडित को ही भेंट करूं…मगर दिक्कत ये थी कि बिना जान-पहचान के किसी पंडित को ब्लू फिल्मों की डीवीडी भेंट करता तो वो बुरा मान जाता…मगर ऐसे में हमारी ही पार्टी के एक पंडित नेता मुझे याद आए
फ़ेकिंग न्यूज़-कौन…मनीष तिवारी?
दिग्विजय सिंह-नहीं, श्री एनडी तिवारी!

Monday, September 5, 2011

एक अजन्मी बच्ची की बातें

     माँ ! माँ ! सुन रही हो? सुनो ना माँ! अरे इधर उधर मत देखो माँ ! में तुम्हारे अन्दर से बोल रही हू, नहीं समझी ना? में तुम्हारी बच्ची बोल रही हू. पता है. मेरे छोटे छोटे हाथ पाँव है अब ... में महसूस करने  लगी हू  हर हलचल को, हर आहट को.
कल जब तुम कहीं  गई थी, वहा जाने केसी  मशीन लगाई गई थी तुम्हारे शरीर पर, सच कहू? बड़ा दर्द हो रहा था माँ...एसी जगह मत जाया करो ना, पता है, मैं बहुत खुश हू की जब कल रात में दादी कह रही थी मत ला इसे इस दुनिया में तब तुमने इसका विरोध किया, तुम नहीं जानती माँ में कितनी खुश हो गई की तुमने मुझे प्यारी सी दुनिया में लाने की बात सोची....

माँ जब मै बाहर की दुनिया मे आ जाउंगी तब अपनी मुस्कान से तुम्हारा घर भर दूंगी....अपने नन्हे कदमो मे बंधी पायल से जब ठुमक कर चलूंगी ना तब तुम बहुत खुश होगी सच मानो मेरी बात, और हाँ मे अपने खिलोने वाले बर्तनों मे तुम्हारे लिए खाना बनाउंगी, जब तुम थकजाओगी तो अपने खेल मे तुम्हे भी शामिल कर लूंगी ....

जब मे बड़ी हो जाऊंगी ना माँ तब तुम्हारे काम मे तुम्हारी मदद  करूंगी, खूब पढाई करुँगी, हर सुख दुःख मे तुम्हारे साथ रहूंगी.... तुम चाहे मानो या ना मानो पर तुम्हे गर्व होगा की तुमने बेटी को जन्म दिया.... तुम डरो मत माँ मै कभी तुम्हारे और पापा को सबके सामने शर्मिंदा नहीं होने दूंगी, कभी तुम्हे बेटी को जन्म देने का दुःख नहीं होने दूंगी, बस तुम मुझे अच्छे संस्कार देना, खूब सारा प्यार देना, और मै तुम्हे माँ होने की सच्ची  ख़ुशी दूंगी

तुम कितनी प्यारी हो माँ, तुम दादी की बातों में मत आना माँ,  मेरा विश्वास करो में वो कुछ भी नहीं करूंगी जो सब दादी बोल रही थी. सच्ची कहती हू तुम्हे कभी तंग नहीं करूंगी आज तुम मेरा सहारा बनकर खडी हो माँ, कल में तुम्हारा सहारा बनूंगी. तुम्हारी आँखों के हर आंसू को अपने नन्हे नन्हे हाथों से पोंछ दूँगी. एक बात कहूँ, तुम मुझे खूब पढाना माँ पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा करना तब तुम्हे मेरे दहेज़ के लिए पैसा जुटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, मुझे सम्मान से जीना सिखाना माँ. और हाँ दहेज़ के लोभी लोगो के घर में मेरी शादी कभी मत करना...

माँ एक बात बोलू दादी को समझाना मै बोझ नहीं हू उन्हें कहना मै उनके बुढ़ापे का सहारा बनूँगी. मै उनके सर मे अपने नन्हे नन्हे हाथों से तेल लगाउंगी, जब उनका सर दर्द होगा मे दबा दिया करुँगी, पूजा मे उनकी मदद करुँगी बस मुझे बाहर की प्यारी दुनिया देख लेने दो.


मै अपनी आँखों से देखना चाहती हू इस प्यारी दुनिया को, सब तुम्हरे अन्दर रहकर सुनती हू बस हवा, पानी, पेड़ पंछी सब को अपनी आँखों मे बसा लेना चाहती हू.... मे जानती हू जब तुम हरी घास पर चलती हो तो एक ख़ुशी की लहर दोड जाती है तुम्हार अन्दर और इसे मे महसूस करती हू, ये सब मे खुद अपने अन्दर महसूस करना चाहती हू... माँ तुम मुझे दोगी ना ये मौका? माँ मै तुम्हारे हाथों का स्पर्श चाहती हू, अपने गालों पर तुम्हारी प्यारभरी चपत चाहती हू, तुम्हारी और पापा की नोक झोंक देखना चाहती हू, तुम सब का दुलार चाहती हू बोलो माँ दोगी ना मुझे एक मौका जीने का? इस दुनिया मै आने का? बोलो ना माँ चुप क्यों हो आने दोगी ना मुझे इस दुनिया मे.
(........तुम्हारी परी)