Monday, December 1, 2014

मैरीकॉम को मिले स्वर्ण के लिए खुशी है मगर एल सरिता देवी के साथ हुई नाइंसाफी के लिए बेहद अफसोस भी। क्रिकेट के इतर एक एथलीट अपनी सारी ज़िंदगी एशियन या ओलंपिक खेलों में पदक जीतने का सपना लिए दिन-रात एक कर देता है। महीनों घर से दूर कैंप में रहकर सेना से भी कड़े अनुशासन में प्रैक्टिस करता है। मां बनने के बाद एल सरिता देवी ने जब कॉमनवेल्थ और एशियाई खेलों के लिए प्रैक्टिस शुरू की तो पहले 20 किलो वज़न कम किया। कॉमनवेल्थ खेलों से पहले वो 6 महीनों तक अपने सालभर के बच्चे से दूर रही। कॉमनवेल्थ में भाग लेकर जब वो भारत लौटी थी तो उनका खुद का बच्चा उन्हें नहीं पहचान पाया...वो फूट-फूटकर रोने लगी...किसी मां के लिए इससे बड़ा दर्द और कुछ नहीं हो सकता था...ये दर्द...ये दूरी भी इंसान बर्दाश्त कर ले बशर्ते किसी तरह वो मकाम पा जाए जिसके लिए सारे त्याग किए...इस सबके बीच खुद के साथ हुई नाइंसाफी के लिए एल सरिता देवी को टीवी पर रोता देख उनके दर्द की सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है...खेल क्रूर होता है मगर ज़िंदगी उससे भी..वैसे भी आखिर में लोग ज़्यादती के किस्से नहीं, सफलता की कहानियां ही याद रखते हैं...


My Bhanja Anuj & me

 Anuj
Vinod Suthar

Vinod Suthar Ramgarh

 Vinod Suthar Ramgarh
Vinod Suthar Ramgarh

Pari & Pintu


Pari and Pintu at Anupgarh



Jindgi ka bojh


श्री नाथूराम जी गोंडसे को उनकी पुण्यतिथि पर



Mata Veshno Devi July 2014


 FirozPur
 With Anup Ji