'पगली'
'जब मैं 17 की हुई
तब सारे रिश्तेदारों ने मुझसे मिल कर एक लड़के से शादी की बात की। बहुत अच्छा
लड़का था। गोरा, मेरी उम्र का। हम बहोत दिनों बात किए, मिले।
हमारी शादी मनी बहुत धूम-धाम से।
शादी की रात मैं सो
गई। रात को जब मेरी नींद टूटी तो वो मुझे छू रहा था। लेकिन जैसे वो छुआ तो वो किसी
लड़के का हाथ नहीं था। वो बूढ़ा था। मेरी शादी की रात को मेरे साथ एक
बूढ़ा आदमी था। मेरी शादी किसी 50-55 साल के बूढ़े से करा दी थी।
मुझे अंधेरा छा गया।
मैं वहीं बेहोश हो गई।''
'मेरे को ध्यान नहीं
है कि कौन-कौन था। कैसे क्या हुआ। लेकिन मेरे बेहोश होने के बाद कई दिन मैं सदमे
में थी। मैंने चीखती थी। मैं अस्पताल में थी। लोग मेरा इलाज करा रहे थे। लोग मेरा
पागलों वाला इलाज करा रहे थे। मुझे बिस्तर से बांध कर रखा जाता था। और पता नहीं
क्या-क्या किया मेरे साथ।'
एक ऑपरेशन के नाम पर
उसके सिर पर एक चीरा लगाया गया एक कनपटी से होते हुए दूसरी तक। (उसके कान के ऊपर
वह निशान साफ देखा जा सकता है।)
'उसने बाद मैं सच में
पागल हो गई।
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उसकी शक्ल पर कोई
दुख या अफसोस नहीं था। वह अब भी खिलखिला रही थी। उसे बोलने में मजा आ रहा हो मानो।
वह बोली, मुझे ना
हमेशा बात करने का मन करता है। बात करूं, मैं बात करूं,
दिन करूं रात करूं। कोई बात करे तो ठीक वरना अकेले गाने गाती हूं।
मुझे नाचना पसंद है। और मैं कलकत्ते जाकर बहुत नाचती हूं। वो नाचकर दिखाने लगी। वो
बोलती गई.. मुझे अकेले में डर लगता है। कंपकपी छूटती है। इसलिए सब 'पगली'
कहते हैं। वो हंस रही थी। बोली मेरा बुढ़ा (अपने पति को बुढ़ा ही कहती
है) न, वो भी पागल कहता है। वो बहुत बूढ़ा है न। काम मेरे को ही करना पड़ता
है न। अब सादी(शादी) तो हो गई है न भैया। अब तो यही चलेगा। मुझे ही काम करना है और
कमाना है।
काम की बात करते ही
वो उठी और नाचते हुए बोली। तुम अच्छा है भैया। मैं जाउं?
ऑफिस की डायरी से एक
पन्ना फटा और उसपर लिखा गया...'पगली को सामान दिया गया..हाउस नंबर 201..।'