Friday, February 26, 2016

दुर्योधन और राहुल गांधी



दोनों ही अयोग्य होने पर भी सिर्फ राजपरिवार में पैदा होने के कारन शासन पर अपना अधिकार समझते हैं।
भीष्म और आडवाणी -
कभी भी सत्तारूढ़ नही हो सके फिर भी सबसे ज्यादा सम्मान मिला। उसके बाद भी जीवन के अंतिम पड़ाव पे सबसे ज्यादा असहाय दिखते हैं।
अर्जुन और नरेंद्र मोदी- 
दोनों योग्यता से धर्मं के मार्ग पर चलते हुए शीर्ष पर पहुचे जहाँ उनको एहसास हुआ की धर्म का पालन कर पाना कितना कठिन होता है।
कर्ण और मनमोहन सिंह -
बुद्धिमान और योग्य होते हुए भी अधर्म का पक्ष लेने के कारण जीवन में वांछित सफलता न पा सके।
जयद्रथ और केजरीवाल- 
दोनों अति महत्वाकांक्षी एक ने अर्जुन का विरोध किया दूसरे ने मोदी का। हालांकि इनको राज्य तो प्राप्त हुआ लेकिन घटिया राजनीतिक सोच के कारण बाद में इनकी बुराई ही हुयी।
शकुनि और दिग्विजय- 
दोनों ही अपने स्वार्थ के लिए अयोग्य मालिको की जीवनभर चाटुकारिता करते रहे।
धृतराष्ट्र और सोनिया -
अपने पुत्र प्रेम में अंधे है।
श्रीकृष्ण और कलाम-
भारत में दोनों को बहुत सम्मान दिया जाता है परन्तु न उनकी शिक्षाओं को कोई मानता है और न उनके बताये रास्ते का अनुसरण करता है।
--यह है भारत और महाभारत

अध्यापकों का इलाज होगा—बिल्कुल मुफ्त..


अब अध्यापकों का इलाज होगा—बिल्कुल मुफ्त...
अध्यापक वर्ग लंबे समय से मांग करता रहा है कि उन्हें भी मुफ्त इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए, लेकिन इस मांग को हर सरकार अनसुना कर ठंडे बस्ते में डालती रही है। जिसके कारण अध्यापकों में समय-समय पर विरोध का गुब्बार फूटता रहा है.
अध्यापकों की विभिन्न यूनियन भी इस माँग को पुरजौर तरीके से उठाती रही हैं, लेकिन चाहे इनेलो सरकार रही हो या कांग्रेस, किसी ने इस तरफ कोई विशेष ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब समय और सरकार दोनों बदल गए हैं. इस बदले हुए परिवेश में बदली हुई सरकार कुछ बदलाव लाना चाहती है। इसी के तहत बी.जे.पी. सरकार ने अध्यापकों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए मुफ्त इलाज की योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू कर दिया है।
पहले इलाज के अभाव में अनेक अध्यापक इधर-उधर भटकते रहते थे। समय पर इलाज न होने के कारण कई अध्यापक साथी तो हफ्तों विद्यालय नहीं आ पाते थे। लेकिन अब ऐसा नही होगा...। अब हर अध्यापक का समय पर इलाज होगा और वो भी बिल्कुल मुफ्त। इसके लिए कहीं भटकने की जरूरत नहीं है। सरकार ने स्कूलों में टेबलेट भेजनी शुरू कर दी हैं।
सूत्रों के हवाले से बताया जा रहा है कि जो अध्यापक लेटलत्तीफी और फरलोबाजी जैसी बिमारी के मरीज हैं, उनके लिए ये टेबलेट बेहद कारगर हैं. विभाग के एक रोग विशेषज्ञ ने योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि ये टेबलेट वास्तव में थंब एक्यूप्रेशर विधि पर आधारित हैं, जिसमें केवल एक अंगूठा दबा कर अध्यापक की पूरी बॉडी का इलाज किया जाता है. इस अंगूठे का दबाव मरीज के दिमाग तक प्रभाव डालता है, जिसके कारण उसका पूरा स्नायु तंत्र तेजी से काम करने लगता है और लेट-लत्तीफी तथा फरलोबाजी के जर्म शरीर से धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं।
हाल ही में शिक्षा विभाग ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया है कि वरिष्ट माध्यमिक विद्यालयों में थंब एक्यूप्रेशर विधि का सफल परिक्षण किया जा चुका है तथा बेहद उत्साहवर्धक परिणाम सामने आए हैं। कई लेटलत्तीफी रोग ग्रस्त अध्यापक तो पूर्ण स्वाथ्य लाभ पा चुके हैं। 
कुछ अध्यापकों की समय पर स्कूल पहुँचने में अब भी सांसे उखड़ रही हैं।
विभाग आशा कर रहा है कि सैलरी डिडेक्शन थैरेपी द्वारा वे भी जल्दी ही पूर्णतया रोग मुक्त हो जाएंगे. लेकिन बताया जा रहा है कि कुछ स्वतंत्र प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में ऐसे भी रोग पीड़ित अध्यापक हैं, जो लाइलाज स्तर पर पहुँचे हुए हैं। 
जिनके वाईन और डाईन का कोई समय नहीं हैं। उन पर ये टेबलेट कितनी करगर होंगी, 
ये तो आने वाला समय ही बताएगा।
जय हो BJP सरकार
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
ऐसे ही कर्मचारियों का मुफ्त इलाज करते रहना..