होठों से छूं लो तुम मेरा गीत अमर कर दो बन जाओ मीत मेरे, मेरी प्रीत अमर कर दो ना उम्र की सीमा हो, ना जन्मों का हो बंधन जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन नयी रीत चलाकर तुम ये रीत अमर कर दो आकाश का सूनापन मेरे तनहा मन में पायल झनकाती तुम आ जाओ जीवन में साँसे देकर अपनी संगीत अमर कर दो जग ने छिना मुझ से, मुझे जो भी लगा प्यारा सब जीता किये मुझ से, मैं हर पल ही हारा तुम हार के दिल अपना, मेरी जीत अमर कर दो
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