Monday, December 10, 2012

Pari Suthar








ओस की बुदं की तरह होती है बेटिया
स्पर्श खुरदरा हो तो रोती है बेटिया

रोशन करेगा बेटा एक कुल को
दो दो कुलो की लाज होती है बेटिया

कोई नही है दोस्तो एक दुसरे से कम
हीरा है अगर बेटा तो,माती होती है बेटिया

भले ही लाखो कमाते हो,पर माँ पिता से ज्यादा नही
गर भूल जाए बेटा माँ पिता को तो
बुढ़ापे मे सहारा देती हैं बेटिया

तो फिर क्यो बेटी को मारते हो
'सुथार' क्यो नही उसे सॅंवारते हो
यही विधी का विधान हैं यही दुनिया की रीत हैं
मुठी में भरे नीर सी होती हैं बेटिया

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