Monday, September 5, 2011

एक अजन्मी बच्ची की बातें

     माँ ! माँ ! सुन रही हो? सुनो ना माँ! अरे इधर उधर मत देखो माँ ! में तुम्हारे अन्दर से बोल रही हू, नहीं समझी ना? में तुम्हारी बच्ची बोल रही हू. पता है. मेरे छोटे छोटे हाथ पाँव है अब ... में महसूस करने  लगी हू  हर हलचल को, हर आहट को.
कल जब तुम कहीं  गई थी, वहा जाने केसी  मशीन लगाई गई थी तुम्हारे शरीर पर, सच कहू? बड़ा दर्द हो रहा था माँ...एसी जगह मत जाया करो ना, पता है, मैं बहुत खुश हू की जब कल रात में दादी कह रही थी मत ला इसे इस दुनिया में तब तुमने इसका विरोध किया, तुम नहीं जानती माँ में कितनी खुश हो गई की तुमने मुझे प्यारी सी दुनिया में लाने की बात सोची....

माँ जब मै बाहर की दुनिया मे आ जाउंगी तब अपनी मुस्कान से तुम्हारा घर भर दूंगी....अपने नन्हे कदमो मे बंधी पायल से जब ठुमक कर चलूंगी ना तब तुम बहुत खुश होगी सच मानो मेरी बात, और हाँ मे अपने खिलोने वाले बर्तनों मे तुम्हारे लिए खाना बनाउंगी, जब तुम थकजाओगी तो अपने खेल मे तुम्हे भी शामिल कर लूंगी ....

जब मे बड़ी हो जाऊंगी ना माँ तब तुम्हारे काम मे तुम्हारी मदद  करूंगी, खूब पढाई करुँगी, हर सुख दुःख मे तुम्हारे साथ रहूंगी.... तुम चाहे मानो या ना मानो पर तुम्हे गर्व होगा की तुमने बेटी को जन्म दिया.... तुम डरो मत माँ मै कभी तुम्हारे और पापा को सबके सामने शर्मिंदा नहीं होने दूंगी, कभी तुम्हे बेटी को जन्म देने का दुःख नहीं होने दूंगी, बस तुम मुझे अच्छे संस्कार देना, खूब सारा प्यार देना, और मै तुम्हे माँ होने की सच्ची  ख़ुशी दूंगी

तुम कितनी प्यारी हो माँ, तुम दादी की बातों में मत आना माँ,  मेरा विश्वास करो में वो कुछ भी नहीं करूंगी जो सब दादी बोल रही थी. सच्ची कहती हू तुम्हे कभी तंग नहीं करूंगी आज तुम मेरा सहारा बनकर खडी हो माँ, कल में तुम्हारा सहारा बनूंगी. तुम्हारी आँखों के हर आंसू को अपने नन्हे नन्हे हाथों से पोंछ दूँगी. एक बात कहूँ, तुम मुझे खूब पढाना माँ पढ़ लिखकर अपने पैरों पर खड़ा करना तब तुम्हे मेरे दहेज़ के लिए पैसा जुटाने की जरुरत नहीं पड़ेगी, मुझे सम्मान से जीना सिखाना माँ. और हाँ दहेज़ के लोभी लोगो के घर में मेरी शादी कभी मत करना...

माँ एक बात बोलू दादी को समझाना मै बोझ नहीं हू उन्हें कहना मै उनके बुढ़ापे का सहारा बनूँगी. मै उनके सर मे अपने नन्हे नन्हे हाथों से तेल लगाउंगी, जब उनका सर दर्द होगा मे दबा दिया करुँगी, पूजा मे उनकी मदद करुँगी बस मुझे बाहर की प्यारी दुनिया देख लेने दो.


मै अपनी आँखों से देखना चाहती हू इस प्यारी दुनिया को, सब तुम्हरे अन्दर रहकर सुनती हू बस हवा, पानी, पेड़ पंछी सब को अपनी आँखों मे बसा लेना चाहती हू.... मे जानती हू जब तुम हरी घास पर चलती हो तो एक ख़ुशी की लहर दोड जाती है तुम्हार अन्दर और इसे मे महसूस करती हू, ये सब मे खुद अपने अन्दर महसूस करना चाहती हू... माँ तुम मुझे दोगी ना ये मौका? माँ मै तुम्हारे हाथों का स्पर्श चाहती हू, अपने गालों पर तुम्हारी प्यारभरी चपत चाहती हू, तुम्हारी और पापा की नोक झोंक देखना चाहती हू, तुम सब का दुलार चाहती हू बोलो माँ दोगी ना मुझे एक मौका जीने का? इस दुनिया मै आने का? बोलो ना माँ चुप क्यों हो आने दोगी ना मुझे इस दुनिया मे.
(........तुम्हारी परी)

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