Tuesday, September 13, 2011

दिग्विजय सिंह ने मनाया ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध, फ़ेकिंग न्यूज़ से की विशेष बातचीत

दिल्ली. ऐसे समय जब खुफिया एजेंसियां दिल्ली धमाकों के बाद मिल रहे एक के बाद एक ईमेलों से हलकान हैं, मनमोहन सिंह सोनिया गांधी को महीने का रिपोर्ट कार्ड देने में लगे हैं, आडवाणी रथयात्रा से पहले पहियों को ग्रीस कर रहे हैं, अवॉर्ड फंक्शन में देरी से बुलाए जाने पर धोनी मुंह फुलाए बैठे हैं और बॉडीगार्ड के सुपरहिट होने पर सलमान के फैन दिन-रात जश्न मना रहे हैं…इस सबके बीच…एक शख्स है जो नहीं भूला कि उसका फर्ज़ क्या है…उसे महीनों से इंतज़ार था कि जल्द ही यह पावन मौका आए और वो एक बेटे का फर्ज़ निभा सके। और आख़िरकार भाद्रपद शुरू होते ही वो शुभ घड़ी आ गई।
दिग्विजय सिंह का कहना है कि मरने से 
पहले ओसामा बिन लादेन ऐबटाबाद वाली
अपनी हवेली उनके नाम कर गए थे
जी, हां…हम बात कर रहे हैं…मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की जिन्होंने आज पितृपक्ष के पहले दिन अलकायदा प्रमुख और पितातुल्य श्री ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध मनाया। धार्मिक मान्यता के मुताबिक वैसे तो बेटा ही अपने पिता का श्राद्ध मना सकता है और उसके न होने की सूरत में परिवार के बाकी सदस्य मगर दिग्विजय सिंह ने किस हैसियत से ओसामा जी का श्राद्ध मनाया ये जानने के लिए हमने उनसे ख़ास बातचीत की।
फ़ेकिंग न्यूज़-दिग्विजय जी, पहले तो ये बताएं कि ओसामा बिन लादेन का श्राद्ध मनाने का विचार आपके ज़हन में क्यों आया?
दिग्विजय-देखिए, वैसे तो ये मेरा निजी मामला है…मैं कुछ कहना नहीं चाहता…मगर आपने पूछा है तो बता दूं कि जब से अमेरिका ने ओसामा जी को समुद्र में दफनाया था…तब से मैं बेहद आहत था…जानता था कि इस तरह दफनाए जाने से उनकी रूह तड़प रही होगी…उसे बेहद कष्ट हो रहा होगा…और जब तक वो नया शरीर धारण नहीं कर लेती यूं ही तड़पती रहेगी…तभी मैंने तय कर लिया था कि नहीं मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूंगा…हिंदू आतंकी भले ही कैसे हों…मगर हिंदू धर्म तो एक महान धर्म है…हमारे यहां किसी भी मृत व्यक्ति का श्राद्ध कर उसकी आत्मा की शांति के लिए प्रयास किया जा सकता है…सो मैंने किया।
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर दिग्विजय जी, लोग पूछ रहे हैं कि इस तरह से श्राद्ध करने का हक तो बेटे को होता है और उसके न होने पर परिवार के बाकी लोगों को…आपने किस हैसियत से उनका श्राद्ध मनाया।
दिग्विजय-कौन कहता है कि सिर्फ बेटा और परिवार वाले ही ही कर सकते हैं…अगर परिवार का कोई सदस्य ये सब न करें तो मृत व्यक्ति के उत्तराधिकारी को भी श्राद्ध माने का अधिकार होता है
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर आप किस तरह से ओसामा बिन लादेन के उत्तराधिकारी हुए…क्या सिर्फ ट्विटर और फेसबुक पर लोगों के मज़ाक में कहने से कि दिग्विजय सिंह लादेन के उत्तराधिकारी हैं, आपने खुद को उसका उत्तराधिकारी मान लिया।
दिग्विजय-नहीं, मैंने कोई मज़ाक में खुद को ओसामा जी का उत्तराधिकारी नहीं माना बल्कि कानूनी तौर मैं ही उनका असली उत्तराधिकारी हूं। कम लोग जानते हैं कि मरने से पहले इसी साल 2011 में ओसामा जी ऐबटाबाद की हवेली मेरे नाम कर गए थे! इस लिहाज़ मैं राजनीतिक ही नहीं, उनकी सम्पत्ति का भी उत्तराधिकारी हूं!
फ़ेकिंग न्यूज़-अच्छा तो बात हुई कि आपने श्राद्ध मनाया क्यों…अब बात करते हैं कि आपने श्राद्ध मनाया कैसे…पहले ये बताएं कि आज के दिन तो मृत व्यक्ति के नाम का खाना बनाकर किसी पंडित को खिलाया जाता है…आपने किस पंडित को खाना खिलाया?
दिग्विजय सिंह-ये भी भला कोई बात हुई…विद्वता के लिहाज़ से तो कांग्रेस में सभी पंडित हैं मगर जाति की बात की जाए तो भी ऑप्शन्स की कमी नहीं थी…मगर मैंने ऐसे पंडित नेता को खाना खिलाया, जिनके लिए मेरे मन में गहरी श्रद्धा है…अपार स्नेह है…जिनकी वाक्पटुता की दुनिया कायल है…अब तक तो आप समझ ही गए होंगे…वो हैं मशहूर वकील और मेरे अनन्य मित्र…श्री मनीष तिवारी जी!
फ़ेकिंग न्यूज़-मगर इस अवसर पर कौओं को भी तो कुछ खिलाया जाता है…क्या आपने छत पर आवाज़ लगाकार कौओं को पास बुलाकर उन्हें कुछ खिलाया?
दिग्विजय-हां, मैं जानता हूं कि ऐसा किया जाता है मगर इतने व्यस्त कार्यक्रम में मेरे लिए संभव नहीं था कि मैं छत पर जाकर कौए को आवाज़ लगाता और उसे पास बुलाकर कुछ खिलाता…
फ़ेकिंग न्यूज़-तो फिर…
दिग्विजय सिंह-तो फिर क्या…मैंने कौओं के हिस्से का खाना भी श्री मनीष तिवारी को खिला दिया…वैसे भी कें कें करने के चलते कौए के कुछ गुण तो उनमें हैं ही!
फ़ेकिंग न्यूज़-और एक आख़िर सवाल…कहा तो ये भी जाता है कि मृत व्यक्ति की पसंद की कुछ चीज़ें भी किसी ज़रूरतमंद को दी जाता है…जैसे किसी को कोई ख़ास रंग की शर्ट पसंद थी तो आपने उसी रंग की शर्ट किसी गरीब को दान कर दी…मैं जानना चाहता हूं कि क्या आपने भी ऐसा कुछ किया?
दिग्विजय सिंह-हां किया न
फ़ेकिंग न्यूज़-क्या?
दिग्विजय-ओसामा जी के घर की तलाशी में कुछ ब्लू फिल्मों की सीडी भी मिली थी तो इससे ऐसा लगता है कि उनका पोर्नोग्राफी में इंट्रस्ट था…तो मैंने सोचा कि किसी ज़रूरतमंद को ब्लू फिल्मों की डीवीडी का सेट भेंट कर दूं…अब चूंकि ये दान का मामला था तो मुझे लगा कि ऐसी डीवीडी भी मैं किसी पंडित को ही भेंट करूं…मगर दिक्कत ये थी कि बिना जान-पहचान के किसी पंडित को ब्लू फिल्मों की डीवीडी भेंट करता तो वो बुरा मान जाता…मगर ऐसे में हमारी ही पार्टी के एक पंडित नेता मुझे याद आए
फ़ेकिंग न्यूज़-कौन…मनीष तिवारी?
दिग्विजय सिंह-नहीं, श्री एनडी तिवारी!

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