वो लड़का इस ग्रुप
में बहुत पहले से था ! लड़की ने महीने भर पहले ही ज्वाइन किया ! लड़का और लड़की अलग
अलग प्रदेश के ! दोनों ने न कभी एक दूसरे का शहर देखा और न कभी एक दूसरे को! फोटो
में भी नहीं.. देखते भी कैसे? लड़की ने अपनी प्रोफाइल पिक में एक म्याऊँ लगा रखी
थी और लड़के ने कोई छोटी बच्ची!
बस एक दूसरे की
पोस्ट पढ़कर दोनों एक दूसरे की सूरत अपने दिल में बनाया करते ! लड़का जब ग़ालिब की
कोई ग़ज़ल लिखता, लड़की मीर को कोट करती ! लड़का हेमंत कुमार का गाना
सुनवाता, जवाब में लड़की तलत को पेश करती!
एक दिन लड़के ने
मनोहरश्याम जोशी की "कसप" से डी डी के पत्र का कोई अंश ग्रुप में डाला
और लड़की ने झट से बेबी के अल्हड़ और कुमाउनी भाषा के पत्र का एक अंश जवाब में डाल
दिया ! हांलाकि दोनों के बीच कभी हाय हेलो भी नहीं हुई थी लेकिन लड़के को लगा मानो
वो खुद डी डी हो और बेबी ने उसे ख़त का जवाब दिया हो ! लड़के ने ठीक सोचा था ! लड़की जवाब
देते हुए बेबी ही बन गयी थी!
लड़के को कुछ सूझा
नहीं उसने न जाने किस झोंक में तीन डॉट" ... "बनाकर छोड़ दिए! लड़की के
दिल की धडकनें तेज़ हो गयीं! उसकी तरफ से भी ठीक वही तीन डॉट " ..." आये
मगर ग्रुप में नहीं!
लड़की सयानी थी! लड़की
ने स्टेटस अपडेट किया
" बड़े अच्छे लगते हैं।
ये धरती, ये नदिया, ये रैना और ..."
लड़का मुस्कुरा उठा!
अलबत्ता अभी भी
दोनों ने एक दूसरे की तस्वीर नहीं देखी है मगर अब ग्रुप में उस लड़के के कुछ ख़ास
शेर और गानों की पंक्तियाँ उन तीन डॉट्स के साथ ही पूरी होती हैं और लड़की भी अपनी
कविता के अंत में तीन डॉट्स लगाना नहीं भूलती!
वाट्स एप के तमाम
इमोटीकोन्स के बीच ग्रुप में वे तीन डॉट्स ऐसे झिलमिलाते हैं मानो किसी ने तीन
सूरजमुखी के फूल खिला दिए हों!
हाँ .. मुहब्बत का
इज़हार करने को तीन ही शब्द काफी होते हैं ना?
और शब्द न हों तो
तीन डॉट्स...!
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