Saturday, October 13, 2012

पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्रीजी की मौत का रहस्य


पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत का रहस्य हमेशा से भारत की जनता के लिए रहस्य ही रहा है। अब यह रहस्य और गहरा गया है। भारत सरकार सुभाषचंद्र बोस और लालबहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों के जीवन को इतना रहस्यमय क्यों मानती है? क्या इसकी वजह यह है कि अगर रहस्य उजागर कर दिए गए तो देश का इतिहास फिर से लिखना पडेगा

लालबहादुर शास्त्री की बेटी सुमन सह के बेटे सिद्धार्थ सह ने जब सूचना के अधिकार के तहत भारत सरकार से शास्त्री जी की मोत के बारे में जानकारी मांगी तो सरकार द्वारा मांगी गई जानकारी को यह कहकर नहीं दिया गया कि अगर दिवंगत शास्त्री की मौत से जुडी जानकारी को सार्वजनिक किया जाएगा, तो इसके कारण विदेशी रिश्तों को नुकसान और देश में गड़बड़ी हो सकती है।............

अब वो गड़बड़ी क्या हो सकती है ??तो पढ़िए ........

10 जनवरी 1966 ! अहम दिन और ऐतिहासिक तारीख ! पाकिस्तान के नापाक इरादों को हिमालय की बर्फ और थार के रेगिस्तान में दफनाने वाले तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने सोवियत संघ की पहल पर एक ऐतिहासिक कारनामे पर अपनी मुहर लगा दी। इसकी चर्चा पूरी दुनिया में फैल चुकी थी। सच मानें तो दुनियाभर के देश अचम्भित नजरों से देख रहे थे। इस अजीम शख्सियत-भारत के प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को! इस सामान्य कद-काठी और दुबली काया वाली शख्सियत में साहस का अटूट माद्दा किस कदर भरा था। इन्होंने देश की बागडोर संभालने में जिस समझदारी और दूरंदेशी वाली सूझ-बूझ का परिचय दिया, वह ऐतिहासिक है। शास्त्रीजी ने अपने जिन फौलादी इरादों से पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी वह पाकिस्तान के लिए कभी न भूलने वाला एक सबक है।शास्त्रीजी की मौत के संबंध में आधिकारिक तौर पर जो जानकारी जनता तक पहुंची है, उसके अनुसार 11 जनवरी, 1966 को दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की मौत दिल का दौरा पडने से उस समय हुई थी, जब वह ताशकंद समझौते के लिए रूस गये थे। पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी ललिता शास्त्री ने आरोप लगाया था कि उनके पति को जहर देकर मारा गया है।

हुआ ये की था की ताशकंद में भारत-पाक समझौता करने के लिए लगभग बाध्य किए गए भारतीय प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री को वहां जहर दे कर मारा गया और उसके बाद अपनी सत्ता कायम करने की कवायद शुरू हुई....
शास्त्री जी को जहर दे कर मारने से किसका फायदा होने वाला था ये बात किसी से छिपी नहीं .......इंदिरा गांधी की भारत में राज करने का पागलपन उसे किसी भी हद तक ले जा सकता था और वो इंदिरा ने किया ........

दिवंगत प्रधानमंत्री के पुत्र सुनील शास्त्री ने कहा कि दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री उनके पिता ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकप्रिय नेता थे। आज भी वह या उनके परिवार के सदस्य कहीं जाते हैं, तो हमसे उनकी मौत के बारे में सवाल पूछे जाते हैं। लोगों के दिमाग में उनकी रहस्यमय मौत के बारे में संदेह है, जिसे स्पष्ट कर दिया जाए तो अच्छा ही होगा।दिवंगत शास्त्री के पोते सिद्धार्थ सह ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने देश में गड़बड़ी की आशंका जताकर, जिस तरह से सूचना देने से इंकार किया है, उससे यह मामला और गंभीर हो गया है। उन्होंने कहा कि हम ही नहीं, बल्कि देश की जनता जानना चाहती है कि आखिर उनकी मौत का सच क्या है।

उन्होंने कहा कि यह भी हैरानी की बात है कि जिस ताशकंद समझौते के लिए पूर्व प्रधानमंत्री गए थे, उसकी चर्चा तक क्यों नहीं होती है।

उल्लेखनीय है कि सीआईएज आई ऑन साउथ एशिया के लेखक अनुज धर ने भी सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत सरकार से स्व. शास्त्री की मौत से जु‹डी जानकारी मांगी थी। इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने यह कहकर सूचना सार्वजनिक करने से छूट देने की दलील दी है कि अगर दिवंगत शास्त्री की मौत से जुडे दस्तावेज सार्वजनिक किए गए, तो इस कारण विदेशी रिश्तों को नुकसान, देश में गडबडी और संसदीय विशेषाधिकार का हनन हो सकता है।

सरकार ने यह स्वीकार किया है कि सोवियत संघ में दिवंगत नेता का कोई पोस्टमार्टम नहीं कराया गया था, लेकिन उसके पास पूर्व प्रधानमंत्री के निजी डॉक्टर आरएन चुग और रूस के कुछ डॉक्टरों द्वारा की गई चिकित्सकीय जांच की एक रिपोर्ट है। जिसमे कुछ प्रश्न हैं ....

अगर शास्त्री जी को दिल का दोरा पड़ा था तो

भारत के प्रधानमंत्री के होटल के कमरे में फोन या घंटी तक क्यों नहीं थी?

उनके शरीर पर नीले दाग किस चीज के थे?

इस अचानक हुई मौत के बाद शव का पोस्टमार्टम तक क्यों नहीं करवाया गया?


सोवियत संघ से बाद में दोस्ती का तोहफा जो इंदिरा ने लिया वो शास्त्री जी को बलिदान कर के मिला /....

No comments:

Post a Comment